करेन्सी छापने की प्रक्रिया क्या है ?

पुराने नोट बंद करने और नए नोट जारी करने की प्रक्रिया कोई नई नहीं है, अर्थशास्त्र" में इसे *विमुद्रीकरण (Demonetization) सिद्धांत*  कहा जाता है, यह बेहद गोपनीय प्रक्रिया होती है,  इसमें कम से कम 6 महीने तो लगते ही हैं।

करेन्सी छापने की भी एक प्रक्रिया होती है। जिसका हर देश को पालन करना पड़ता है।

*करेन्सी छापने की प्रक्रिया क्या है ?*

"रिजर्व बैंक आफ इंडिया" जितनी करेन्सी छापता है उतने मुल्य का "गोल्ड भंडार" उस करेन्सी को सुरक्षित रखने के लिए अपने पास रखता है , यही कारण है कि वह हर करेन्सी पर "धारक को 100 अथवा 1000 देने का वचन देता है" इस वचन का अर्थ यह है कि *बुरी से बुरी स्थिति में भी रिजर्व बैंक उस मुल्य का सोना उस करेन्सी धारक को देगा* जो उसने करेन्सी जारी करने से पूर्व "रिजर्व" रखा है। अर्थात जितनी करेन्सी "आरबीआई" ने जारी की है उतने मुल्य का "स्वर्ण भंडार" उसके पास होगा और *यदि रिजर्व बैंक को  और अधिक करेन्सी जारी करनी हो तो उतने ही मूल्य का और "स्वर्ण भंडार" बढ़ाना पड़ेगा , ऐसा इसलिए कि करेन्सी का केन्द्रीय करण (इकट्ठा) करके कोई "रिजर्व बैंक आफ इंडिया" को बंधक ना बना सके*,  सारी दुनिया के देशों की अर्थव्यवस्था इसी अर्थ सिद्धान्त से चलती है।

देश में प्रचलित कुल करेन्सी के बराबर "स्वर्ण भंडार" को "रिजर्व" रखने की हालत में कोई भी करेन्सी इकट्ठा करके *रिजर्व बैंक आफ इंडिया* को चैलेंज नहीं कर सकता , इसी लिए इस संस्था का नाम "रिजर्व" से प्रारंभ होता है।

बैंक से ₹4000/= के और एटीएम से ₹2000/= ही नये नोट निकालने के पीछे भी यही सिद्धांत है कि *पुराने करेन्सी बाजार से आ जाए तो उनको नष्ट करके नयी करेन्सी छापी जाए* क्युँकि पुरानी करेन्सी के बराबर "स्वर्ण भंडार" तो आरबीआई के पास है ही। जैसे जैसे पुरानी करेन्सी आएगी उसको नष्ट करके उसी मुल्य की नई करेन्सी आरबीआई छपवा कर पुनः बाजार में उतार देगी।
*स्थिति सामान्य होने की यह एक लम्बी प्रक्रिया है जिसमे 6 महीने तक का समय लग सकता है।*

*_अब आप सोच रहे होंगे कि इससे काला धन कैसे बाहर आएगा ?_*
अपनी घोषित आय और अभी सरकार द्वारा दी गयी  अघोषित धन की घोषणा की योजना के समय के बाद *उन सभी लोगों के भी जो सामान्य रिटर्न दाखिल करते हैं और जिनके जिनके खाते में या बैलेंसशीट में दिखाए धन अथवा कैपिटल से अधिक धन होगा वह बैंक में नहीं जमा कर पाएँगे क्युँकि यदि शो की गयी पूँजी या कैश से अधिक जमा किया तो फिर इस वर्ष के इनकम टैक्स रिटर्न में यह शो हो जाएगा और 200% पेनल्टी लग जाएगी। जो कि कुल मिला कर जमा किए गए कुल धन का 90% हो जायेगी।इसके बाद इनकम टैक्स के दुनिया भर के झमेले अलग से झेलने होंगे पुराने कच्चे चिठ्ठे खुलेंगे सो अलग।*

ऐसे लोग इन जमा करेन्सी का पूरा समायोजन नहीं कर पाएँगे और यह छिपी करेन्सी खत्म (एक्सपायर) हो जाएगी , फिर गणना करके रिजर्व बैंक यह आकलन करेगा कि कितने मुल्य की करेन्सी एक्सपायर हुई , मान लीजिए दो लाख करोड़ की करेन्सी एक्सपायर हुई तो दो लाख करोड़ के मूल्य का  "स्वर्ण भंडार" रिजर्व बैंक के पास बच जायेगा। क्युँकि इस एक्सपायर्ड करेन्सी का भुगतान आरबीआई को नहीं करना पड़ेगा और *वह उतने "स्वर्ण भंडार" के पुनः करेन्सी छाप सकेगा जो देश के खजाने में आएगा।*
यह रिजर्व बैंक आफ इंडिया के काम करने की सामान्य प्रक्रिया है ।

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