सावधान

आज की कहानी का शीर्षक- ‘सावधान’

मीना अपने घर के आँगन में बैठी कविता याद कर रही है। उसका भाई राजू झूला झूल रहा है। तभी शबीना वहां पहुँचती है, जिसके हाथ में फ़ोन है। सबीना बताती है, ‘ये मेरे बाबा का है जो बाहर गए हुए हैं। वो जब चाहें हमसे बात कर सकते हैं।........अरे मीना, ज़रा देखो तो इसकी आवाज़ बंद ही नही हो रही।’

मीना फोन की आवाज़ बंद कर देती है। अचानक राजू झूला झुलते-झूलते गिर जाता है।...एकदम से रस्सी कैसे टूट गयी? राजू कहता है कि उसकी रस्सी पहले से ही चटकी हुयी थी, मैंने ध्यान नहीं दिया।

दादी समझाते हुए कहतीं हैं, ‘हमें खतरे से पहले से ही होशियार हो जाना चाहिए।’

सबीना अपने घर चली जाती है। मीना पाती है कि शबीना अपने फोन का चार्जर तो यहीं भूल गयी है तो वह चार्जर देने शबीना के घर जाती है।

शबीना के माँ बताती है, ‘शबीना तो सुबह से ही चार्जर लेने तुम्हारे घर गयी हुयी है।’ सब चिंतित होते हैं।...और तभी शबीना के मोबाइल की घंटी बजने की आवाज़ आती है। मीना कहती है, ‘....आवाज़ तो सुरेश के घर से आ रही है।’

सभी सुरेश के घर की तरफ बढ़ते हैं.....और जैसे ही दरवाजे के पास पहुँचते हैं दरवाजा अपने आप खुलता है और शबीना रोती हुयी बाहर निकलती है।

शबीना सारी बात अपनी माँ को बताती है, ‘.....सुरेश मोबाइल चार्जर के बहाने से उसे अपने घर ले गया था और उसने गंदी-गंदी तसवीरें दिखाईं और अपने पास बैठने को कहा।’

उसे अपनी बहिन जी की कही बात याद आती है, “खतरा आने से पहले उसका आभास कर लिया करो।”...फिर मैंने अपने फोन की घंटी तेज़ कर दी...वह जैसे ही उसे बंद करने गया वैसे ही मैं निकल आयी।

...फिर १०९८ पर फोन किया जाता है और पुलिस सुरेश को गिरफ्तार कर के ले जाती है।

मीना,मिठ्ठू की कविता-

“कभी जो आओ तुम मुश्किल में, कभी ना घबराना
कोई न हो तो तुम १०९८ पर फोन घुमाना।” 

आज का गीत-
नादान नहीं हम नहीं अनजान
अच्छे बुरे की है हमें पहचान
आता है रखना हमको अपना ध्यान
अच्छे बुरे की है हमें पहचान
ये ना समझो हम घबरायेंगे चुप कर जायेंगे
बुरी नज़र डालोगे तो हम तुमसे लड़ जायेंगे
सारी बात बड़ों से जाकर हम तो देंगे बोल
मत सोचो खामोश रहेंगे खोलेंगे हम पोल
अपनी हिम्मत पे है हमें अभिमान
अच्छे बुरे की है हमें पहचान
कोई हमको छुए जो बिना हमारी मर्जी
पुलिस में जाके देंगे हमतो तो उसके नाम की अर्जी
कभी ज़रा भी आये हमको खतरे की आहट
१०९८ पे फोन मिलाकर करेंगे उसकी शिकायत
कब कैसे और क्या करना है हमें है पूरा ज्ञान
अच्छे बुरे की है हमें पहचान

आज का खेल- ‘अक्षरों की अन्त्याक्षरी’
शब्द- ‘सहारा’
‘स’- सब्र( सब्र का फल मीठा होता है)
‘ह’- हर (हाथ बढ़ाना)
‘र’- रंग (रंग बदलना)

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