आज की कहानी - ‘रीता को रोको ~ 1098-चाइल्ड हेल्प लाइन

मीना अपनी सहेली रीता के साथ स्कूल में है।
मीना- रीता, देखो नोटिस बोर्ड पर क्या लिखा है?....ये तो एक नंबर है-1098!
मिठ्ठू चहका-‘1098.....याद कर लो जैसे पाठ।’

.......नंबर के नीचे क्या लिखा है?- “अपनी रक्षा स्वयं करें। अगर कोई बच्चा मुसीबत में है तो 1098 पर फ़ोन करके बताएं तुरंत कार्यवाही होगी...ये सेवा निशुल्क है।”
 
नोटिस बोर्ड पर एक और सूचना है- ५ सितम्बर यानी शिक्षक दिवस के अवसर पर स्कूल मैं एक रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा।

मीना- हम दोनों मिलकर एक गाना गायेंगे.....लड़की की काठी, काठी पे घोडा........। हमें कुछ और सोचना होगा।

तय होता है कि अलग-अलग पक्षियों और जानवरों की आवाज़ निकाल के एक नाटक प्रस्तुत किया जाये ।
मीना- रीता, शिक्षक दिवस छः दिन बाद है, हमें रोज़ ये आवाजें निकालने की तैयारी करनी चाहिए।.........नाटक का नाम रखेंगे ‘जंगल की आवाज़’

और उस शाम जब मीना नाटक की तैयारी करने रीता के घर के बाहर पहुँची...तो मीना ने रीता से बाहर खड़ी गाडी के बारे में पूँछा.....तो पता चला कि यह उसके मामा जी की गाड़ी है जो शहर में रहते हैं। रीता,मीना को पिताजी और मामाजी जी के बीच हुयी बातचीत बताते हुए कहती है कि ‘जीजा जी कोई अच्छा सा लड़का देख के रीता की शादी करा देनी चाहिए।’ रीता बताती है कि मैंने पिताजी से कह दिया-‘पिताजी, अभी मैं अपनी पढाई करना चाहती हूँ। मेरी शादी के बारे में तब सोचियेगा जब मैं १८ साल की हो जाऊं।’....चलो, अपने नाटक की तैयारी करते हैं।

अगले दिन शाम को मीना फिर से रीता के घर पहुंची। रीता के मामा जी की गाड़ी अभी भी वहीँ खड़ी थी। रीता को परेशान देखकर मीना कारण पूंछती है। रीता बताती है की आज उसकी तबियत ठीक नहीं।..... ‘मैं आज नाटक की तैयारी नहीं कर पाऊँगी।’

और जब अगले दिन मीना स्कूल पहुंची...
बहिन जी- तुम्हें अपने नाटक के लिए कोई और साथी ढूँढना पड़ेगा.....रीता सुबह मेरे घर आयी थी यह कहने कि वह नाटक में भाग नहीं ले पाएगी।

मीना- ओहो! इसका मतलब उसकी तबियत काफी ख़राब है।
बहिन जी- तबियत खराब है! नहीं, वो बिलकुल ठीक थी बल्कि वो तो कुछ दिनों के लिए कहीं जाने वाली है।

मीना – जाने वाली है, फिर उसने मुझे ये बात क्यों नहीं बताई?

उसी दिन जब मीना स्कूल से घर लौट रही थी तो उसने रीता को बाज़ार में कुछ खरीददारी करते हुए देखा। रीता ने अपनी कलाइयों में रंग-बिरंगी चूड़ियाँ और पैरों में चमचमाती पायल पहन रखी थी...मीना भाग कर रीता के पास गयी। रीता बताती है कि वह मामाजी और मामीजी के साथ शहर जा रही है। ये क्या?....... मीना आवाज़ देती रही और रीता निकल गयी।

मीना सोचती है हो न हो रीता किसी मुश्किल मैं है। मीना भाग के PCO पहुँची....उसने 1098 पर फ़ोन मिलाया।
मीना- जी नमस्ते, मैं मीना बोल रही हूँ।.....मीना सारी बात बताती गयी।
 
फ़ोन के दूसरी तरफ से आवाज़ आयी-“ आप घबराइये नहीं, हम अभी बाल विवाह निषेध अधिकारी को वहां भेजते हैं। उन्हें आने में थोडा समय लग सकता है,तब तक आप एक काम कीजिये..आप तुरन्त किसी बड़े जैसे अपने माता-पिता,टीचर को यह बात बताइए ताकि रीता को गाँव से निकलने से रोका जा सके।”

मीना जल्दी से बहिन जी के पास पहुँची और उन्हें पूरी बात बताई। बहिन जी ने तुरंत सुनील के पिताजी को फोन किया....और वो अपना ट्रैक्टर ले के बड़ी पुलिया पे आ गए। बहिन जी भी मीना को लेके वहां पहुँच गयी। 

बहिन जी- आप ही रीता के मामाजी हैं?...मैं रीता की टीचर हूँ,आपको हमारे साथ स्कूल तक चलना होगा।

बहिन जी सबको लेकर स्कूल में आयीं। थोड़ी ही देर मैं बाल विवाह निषेध अधिकारी भी वहां पहुँच गए।...और रीता के माँ-बाबा से बोले- “क्या ये सच है कि आप अपनी बेटी रीता को शादी के लिए उसे शहर लेकर जा रहे थे।...आपको पता है की १८ साल से कम उम्र में लड़की की शादी करना एक कानूनी अपराध है।.....भलाई, भलाई नहीं भाई साहब बुराई,.....बुराई करने चले थे आप....अपनी बेटी के साथ।

रीता कहती है कि मैं अभी शादी नहीं करना चाहती।

मिठ्ठू चहका-‘शादी नहीं करना चाहती, आपको ये बात समझ क्यों नहीं आती?’

बाल निषेध अधिकारी रीता के बाबा से कहते हैं-‘भाई साहब,जरा गौर से देखिये अपनी बेटी रीता की तरफ...आपको लगता है ये मासूम इस छोटी सी उम्र में शादी की जिम्मेदारी उठाने की लिए तैयार है। अभी ये बच्ची है..... शरीर से भी और मन से भी।

रीता के बाबा- माफ कीजिये साहब,आज मेरी आँखें खुल गयींहैं। ..और आज मैं सबके सामने ये वादा करता हूँ कि रीता की शादी कराने के बारे में तभी सोचूंगा जब ये १८ साल की हो जाएगी..और वो फैसला भी मैं रीता से पूँछ कर ही करूंगा।.....अगर आज आप हमें न रोकते तो हमसे बहुत बड़ा अपराध हो जाता ....आपका बहुत –बहुत धन्यवाद।

अधिकारी बोले- धन्यवाद मुझे नहीं मीना को कीजिये....ये सब मीना की समझदारी का परिणाम है।




आज का गीत- 
सबसे हमको प्यार है प्यारे,बात कहें हम सच्ची=२ 
हर एक चीज जो हो समय पर बस वही है अच्छी। 
अरे बिना वजह क्यों सोचना क्यों करनी माथा-पच्ची, 
हर एक चीज जो हो समय पर बस वही है अच्छी।
अरे बचपन नाम है खेलकूद का बचपन है मस्ती भरा
बचपन में शादी जो कर ली सब रह जाएगा धरा।
उमर है पढ़ने लिखने की कुछ बनके दिखलाने की
नहीं उमर ये शादी के बंधन में फँस जाने की।
गाँठ बाँध ले बात मेरी हर बच्चा और बच्ची
हर एक चीज जो हो समय पर बस वही है अच्छी।
शादी...कोई...खेल...न¬हीं...है...ये...है..¬.जिम्मेदारी...
करनी...पड़ती...है...ज¬िसके...लिए...बड़ी...त¬ैयारी....।
अरे पहले हो जाओ तैयार टन से मन से धन से
ताकि रहे न कोई शिकायत तुन्हें कभी जीवन से।
बात मेरी ये बड़ी जोरदार है नहीं समझना कच्ची।
हर एक चीज जो हो समय पर बस वही है अच्छी।


आज का खेल- ‘अक्षरों की अन्त्याक्षरी’

शब्द-‘समीप’( पास यानि नज़दीक)

• ‘स’- सुनार (सौ सुनार की एक लुहार की)
• ‘म’- मक्खियाँ(मक्खियाँ मरना)
• ‘प’- पानी( पानी-पानी होना)

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